
अभी तक आप कम्प्यूटर का इस्तेमाल सीधे तौर पर हाथों की उंगलियों से इनपुट डिवाइसेस के जरिए इलैक्ट्रॉनिक कमांड्स देकर करते आए हैं। लेकिन आने वाले समय में आप ये कमांड्स बिना डायरेक्ट कमांड दिए सीधे अपने दिमाग से ही दे पायेंगे। ये बात भले हैरान करे, लेकिन अब ऐसा करना संभव हो सकेगा। अमेरिकी सेना इस समय इसी तरह के एक नए प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। वह मस्तिष्क में लगाई जा सकने वाली एक ऐसी चिप का आविष्कार करने में जुटी है, जो सीधे मस्तिष्क और कम्प्यूटर्स के बीच संपर्क स्थापित करने में मदद करेगी।
कम्प्यूटर इस्तेमाल करने की स्पीड होगी तेज
'मेलऑनलाइन' की रिपोर्ट के मुताबिक, इस न्यूरल इम्प्लांट का मकसद हमारे कम्प्यूटर इस्तेमाल करने की गति को और भी तेज करना है। साथ ही प्रोजेक्ट के पीछे यह भी वादा किया गया है कि इसके जरिए ऐसी नई किस्म की डिवाइसेस बनाई जाएंगी, जिन्हें सीधे विचारों के जरिए ही नियंत्रित किया जा सकेगा। डीफेन्स एडवांस्ड रीसर्च प्रोजेक्ट्स एजेंसी (डीएआरपीए) के मुताबिक, यह चिप न्यूरॉन्स के जरिए इस्तेमाल होने वाली इलैक्ट्रो-कैमिकल लैंग्वेज को बाइनरी नंबर्स में बदल देगी, जिनका मशीनों में इस्तेमाल होता है। एजेंसी का कहना है कि यह चिप अंतिम रूप में एक दूसरे के ऊपर लगे दो छोटे सिक्कों के आकार के बराबर ही होगा।
ब्रेन कम्प्यूटर कम्यूनिकेशन की प्रॉब्लम्स होंगी दूर
न्यूरल इंजीनियरिंग सिस्टम डिजाइन प्रोग्राम के मैनेजर, फिलिप एल्वेल्दा ने बताया, कि इस तकनीक का मकसद उन कठिनाइयों को दूर करना है, जो अभी ब्रेन कम्प्यूटर कम्यूनिकेशन के बीच में आ रही हैं। ये डिवाइसेस मस्तिष्क की इलैक्ट्रिकल एक्टिविटीज को डिटेक्ट कर सकती हैं। इसके लिए यूजर्स को कन्सनट्रेट करना होता है। साथ ही एक खास तरह की ट्रेनिंग से गुजरना होता है। जिससे विशिष्ट और आसानी से डिटेक्ट किए जा सकने वाले सिग्नल्स पैदा किए जा सकें।
न्यूरल डिसऑर्डर्स के लिए विकसित होंगी नई थेरेपीस
एल्वेल्दा ने बताया, ''आजकल के सबसे अच्छे ब्रेन-कम्प्यूटर इन्टरफेस सिस्टम्स दो सुपर कम्प्यूटर्स की तरह हैं। जो एक दूसरे से संपर्क करने के लिए पुराने 300-बॉड मॉडेम का इस्तेमाल कर रहे हैं।'' उन्होंने कहा, ''कल्पना करिए क्या चीजें संभव हो जाएंगी जब हम अपने उपकरणों को अपग्रेड कर मानव मस्तिष्क और मॉडर्न इलैक्ट्रॉनिक्स के बीच में एक चैनल स्थापित कर देंगे।''
मिलिट्री को भी मजबूत करेगी यह तकनीक
यह प्रोजेक्ट न्यूरल डिसऑर्डर्स के लिए नई तरह की थेरेपीस भी शुरू कर सकता है। इसके अलावा ऐसी डिवाइसेस भी विकसित कर सकता है, जो देखने और सुनने में अक्षम लोगों की मदद करने में भी सुविधा दे सकता है। दर्पा ने बताया कि इसकी डिजिटल ऑडिटरी और वीजुअल इन्फॉर्मेशन को सीधे मस्तिष्क में हाई रिसॉल्यूशन के जरिए भेजी जा सकेगी। जबकि, यह मरीजों की तो मदद करेगी, यह सैनिकों को भी युद्ध के मैदान में सूचनाएं प्राप्त करने के साथ संवाद स्थापित करने में भी मदद कर सकती हैं।
ब्रेन इम्प्लान्ट्स पर ज्यादातर रीसर्चर्स में अक्षमता से ग्रसित लोगों को कम्प्यूटर और रोबोटिक अंगों के दिमाग के जरिए इस्तेमाल करने में मदद देने की दिशा में ध्यान दिया जा रहा है। पिछले सप्ताह जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ने घोषणा की थी कि एक मरीज ने इम्प्लांट का इस्तेमाल किया है जो दिमागी नर्व सिग्नल्स को रोबोटिक हाथ तक पहुंचाता है। यह प्रोजेक्ट राष्ट्रपति ओबामा के अप्रैल 2013 में घोषित किए 'ब्रेन इनिशिएटिव' का ही एक हिस्सा है। जिसका मकसद ब्रेन डिसऑर्डर्स और इंजरीस को दूर करने के लिए नए तरीकों को विकसित करना है।
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