वैसे, अब यह परंपरा लगभग दम तोड़ चुकी हैं। शकुर्ता आखिरी ऐसी चंद महिलाओं में से हैं जिन्होंने शादी के बजाय ताउम्र वर्जिन रहने का चुनाव किया था। अल्बानिया और बाकी बाल्कन देशों में अब ऐसा शायद ही कोई करता हो मुश्किल से 10 ऐसी महिलाएं बची हैं।
यह अनोखी परंपरा कितनी पुरानी है, कोई नहीं जानता। सबने अपने पुरखों से सुना है कि लेकिन दुकाजिनी के कानून में ऐसा लिखा है। मध्ययुगीन कानून के तहत इन लड़कियों को वर्जिनेशा कहा जाता था और आमतौर पर यह खूंखार कबीलों में चलता था, कोई भी लड़की दो तरह से वर्जिनेशा बन सकती थी, अगर परिवार के सारे पुरुष मारे जाएं या चले जाएं। ऐसे में परिवार की जिम्मेदारी संभालने के लिए लड़की वर्जिनेशा हो जाती थी या फिर शादी से बचने के लिए ऐसा करती थी क्योंकि बिना वर्जिनेशा हुए तो उसे शादी करनी हो होती। ना करती तो खून की नदियां बह जातीं। शादी का न्योता ठुकराना बहुत बड़ा अपमान माना जाता था और उसका नतीजा पारिवारिक दुश्मनी में निकलता था।
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