इस साल आइआइटी के प्लेसमेंट्स में केंद्र सरकार की 'मेक इन इंडिया' योजना का असर साफ नजर आ रहा है। युवाओं को विदेशों में एक करोड़
से ज्यादा के पैकेज ऑफर किए जा रहे हैं, लेकिन वे उन्हें ठुकराकर कम वेतन में अपने ही देश की कंपनियों में काम करना बेहतर समझ रहे हैं। चार छात्रों के ये फैसले नजीर बन गए हैं। आइआइटी में प्लेसमेंट सेल से जुड़े अधिकारियों के मुताबिक, इस साल एक करोड़ या इससे अधिक वेतन के आठ ऑफर विदेशी कंपनियों ने दिए। इनमें से चार छात्रों ने इनकार कर दिया। मालूम हो, गूगल, ऑरेकल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियां हर साल आइआइटी से युवा पेशेवरों को विदेश में काम करने का मौका देती हैं। जिन चार युवाओं ने घरेलू कंपनियों में काम करने का फैसला किया है, उन्हें पांच गुना कम वेतन मिलेगा। अधिकारियों के मुताबिक, इससे साफ हो गया कि युवा पीड़ी केवल वेतन के लिए काम नहीं करती है। यूं आया बदलाव इससे पहले कैंपस पर पहले ही दिन आने वाली कंपनियां कंसल्टिंग, फायनेंस, टेक्नोलॉजी और ईकॉमर्स सेक्टर्स से होती थीं। अब आइआइटी दिल्ली में यह 'मिक्स' बदल गया है। अब मेक इन इंडिया कैंपेन से प्रभावित भारतीय कंपनियां देश में रोजगार के सुनहरे अवसर लेकर आ रही हैं। इसी तरह पिछले साल आइआइटी बॉम्बे ने भी कोर इंजीनियरिंग कंपनियों को पहले ही दिन मौका दिया। इसका असर भी साफ नजर आया 172 में से 60 ऑफर कोर कंपनियों से रहे, जबकि उससे पहले यह आंकड़ा 174 में से 35 ऑफर्स का था।खबर है कि गुवाहाटी और रूड़की के आइआइटी भी इसी दिशा में पहले करेंगे। आइआइटी गुवाहाटी के एक अधिकारी ने बताता, हम कोर कंपनियों को शुरूआत में बुलाने पर विचार कर रहे हैं। वहीं आइआइटी मद्रास के प्लेटमेंट सलाहकार बाबू विश्वनाथन का कहना है कि मेक इंडिया में अपनी भूमिका को कई आइआइटी प्रबंधन ने पहचान लिया है।
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