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दाऊद इब्राहिम के खात्मे का काउंटडाउन शुरू हो गया है। एक के बाद एक दाऊद के धंधों और उसके करीबियों पर शिकंजा कसता जा रहा है। और अब बारी है खुद दाऊद की। दाऊद को दबोचने की रणनीति कच्छ के रण में बन रही है। पाकिस्तान की सरहद से लगा ये वो इलाका है, जहां आजकल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह और एनएसए अजीत डोभाल देश के आला पुलिस अफसरों के साथ बैठक कर रहे हैं। और इसी बैठक में बन रही है दाऊद को वापस भारत लाने की योजना। प्रधानमंत्री मोदी के मिशन दाऊद की कमान संभाल रखी है एनएसए अजीत डोभाल ने, जो कि दाऊद के पुराने दुश्मन हैं।

दाऊद इब्राहिम 26 दिसंबर को साठ साल का हो जाएगा। दाऊद की बर्थडे पार्टी के शानदार जश्न की जमकर तैयारियां चल रही हैं। पार्टी की सारी तैयारियां खुद छोटा शकील और अनीस इब्राहिम ने संभाली है। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक दाऊद की बर्थडेपार्टी पाकिस्तान में ही किसी गुप्त ठिकाने पर हो सकती है। उधर पाकिस्तान में छिपा दाऊद अपने बर्थडे की तैयारियों में मशगूल है तो सरहद के इस पार गुजरात में कच्छ के रण में चल रही थी एक बेहद खास और हाईलेवल बैठक। इस बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और कई राज्यों को पुलिस महानिदेशक शामिल थे। देश की आंतरिक सुरक्षा और बाहर से आने वाले खतरों पर चर्चा के लिए बुलाई गई इस बैठक में उठा वो नाम जो देश का सबसे बड़ा मुजरिम है वो नाम था दाऊद इब्राहिम का।

दरअसल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2016 में सार्क देशों की बैठक में शामिल होने पाकिस्तान जाने वाले हैं। प्रधानमंत्री चाहते हैं कि जब उनकी मुलाकात पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से हो तो उनके सामने भगोड़े दाऊद इब्राहिम का मुद्दा उठाएं और उसे भारत को सौंपने की मांग करें। सूत्रों के मुताबिक कच्छ के रण में हुई हाई प्रोफाइल मीटिंग में मोस्ट वांटेड दाऊद से जुड़े सबूतों और दस्तावेजों पर चर्चा हुई। इस सबूतों के आधार पर ही पाकिस्तान के साथ दाऊद के मुद्दे पर आगे की बात होनी है। साथ ही साथ बैठक में दाऊद को वापस भारत लाने के तरीकों पर भी चर्चा हुई।

दरअसल सरकार ने पाकिस्तान में घुसकर खुफिया ऑपरेशन के जरिए दाऊद को मारने की योजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया है। सरकार का पूरा जोर अब कूटनीतिक और राजनयिक तरीके से दाऊद को भारत वापस लाने पर है। सूत्रों के मुताबिक प्रधानमंत्री मोदी चाहते हैं कि जब वो सार्क देशों की बैठक में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री से मिलें तो उनके पास दाऊद के खिलाफ ऐसे पुख्ता सबूत हों जिन्हें पाकिस्तान नकार न पाए। उसके पास दाऊद को सौंपने के सिवाय कोई दूसरा चारा न रहे। बैठक में इस मुद्दे पर जोर दिया गया कि सार्क देशों की बैठक से पहले खुफिया एजेंसियां दाऊद के खिलाफ और पुख्ता सबूत जुटाएं, जिनसे ये साबित किया जा सके कि दाऊद पाकिस्तान में ही है।

बैठक में शामिल तमाम राज्यों को आला पुलिस अफसरों से कहा गया है कि वो अपने राज्य में दाऊद के खिलाफ दर्ज मामलों और उसके गुनाहों की बारीकी से पड़ताल करें। साथ ही दाऊद के खिलाफ तमाम सबूतों को डोजियर की शक्ल में केंद्र को सौंपे। ताकि इन सबूतों को पाकिस्तान के सामने बातचीत की मेज पर रखकर भारत सरकार पाकिस्तान से दाऊद को सौंपने की मांग कर सके।

कच्छ के रण में पुलिस महानिदेशकों की बैठक की शुरुआत में ही केंद्र सरकार ने अपनी रणनीति साफ कर दी थी। गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने साफ साफ कह दिया कि छोटा राजन के बाद दाऊद इब्राहिम को वापस लाना हमारे एजेंडे में टॉप पर है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मिशन दाऊद की शुरुआत उनके गद्दी पर बैठने के साथ ही हो गई थी। प्रधानमंत्री बनने के साथ ही उन्होंने इंटेलिजेंस ब्यूरो को पूर्व निदेशक अजीत डोभाल को देश का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया। डोभाल को पाकिस्तान के सुरक्षा मामलों की बहुत गहरी जानकारी है। खुफिया एजेंसी में अपने कार्यकाल के दौरान अजीत डोभाल ने कई साल पाकिस्तान में बिताए हैं। डोभाल के करीब से जानने वाले लोगों का कहना है कि वो पाकिस्तान की रग-रग से वाकिफ हैं और उनकी इसी काबिलियत के कायल हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। यही वजह है कि पीएम मोदी के ज्यादातर विदेश दौरों पर एनएसए अजीत डोभाल भी साथ होते हैं। इन विदेश दौरों पर डोभाल का एक ही मकसद होता है कि दाऊद और उसके साम्राज्य का खात्मा।

अजीत डोभाल पीएम मोदी के साथ यूएई के दौरे पर गए थे। इस दौरान उन्होंने यूएई सरकार को दाऊद इब्राहिम से जुड़ा डोजियर भी सौंपा था। इस डोजियर में यूएई और दुबई में दाऊद के धंधों और उसके ठिकानों की पूरी जानकारी थी। पीएम मोदी के यूएई दौरे के बाद वहां की सरकार ने दाऊद के खिलाफ कार्रवाई का ऐलान किया। यूएई ने दाऊद की बेनामी संपत्तियां जब्त करने की कार्रवाई शुरू कर दी। यूएई ने दाऊद की 50 से ज्यादा संपत्तियों की लिस्ट तैयार की है।

कुछ दिन पहले बैंकॉक में भी भारत और पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक हुई थी। इस बैठक में एनएसए अजीत डोभाल दाऊद के गुनाहों का पूरा कच्चा-चिट्ठा लेकर पहुंचे थे। डोभाल ने पाकिस्तान के एनएसए नसीर जंजुआ को दाऊद का डोजियर भी दिया। ये किसी से छिपा नहीं है कि दाऊद अपने पूरे खानदान के साथ पाकिस्तान में छिपा हुआ है। भारतीय खुफिया एजेंसियों दाऊद के पाकिस्तान में होने के दर्जनों सबूत सौंप चुकी हैं। लेकिन पाकिस्तान हर बार यही रटा-रटाया जवाब देती है कि दाऊद उनके मुल्क में नहीं है। 

पाकिस्तान को सौंपे गए दाऊद के नए डोजियर के मुताबिक पाकिस्तान में दाऊद के 10 से ज्यादा ठिकाने हैं। इनमें से ज्यादातर इस्लामबाद और कराची में हैं। डोजियर के मुताबिक दाऊद ने सबसे नया मकान कराची के नूरियाबाद इलाके में खरीदा है और कड़ी सुरक्षा के बीच फिलहाल यहीं पर रह रहा है।

ऐसा नहीं है कि भगोड़ा दाऊद खुद पर कसते शिकंजे से वाकिफ नहीं है। दाऊद की हवा तो उसी दिन से खराब है जिस दिन से अजीत डोभाल भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बने हैं। उसी दिन से दाऊद को अपने मारे जाने का डर सता रहा है। खुफिया एजेंसियों के मुताबिक इसी डर के चलते दाऊद ने पाकिस्तान में अपना ठिकाना भी बदल दिया है और अब वो आईएसआई और पाक फौज की कड़ी सुरक्षा के बीच कराची के पहाड़ी इलाके में रह रहा है।

दरअसल डोभाल से दाऊद के डरने की पुख्ता वजह भी है। 2005 में अजीत डोभाल में दुबई में दाऊद को मारने की फुल प्रूफ प्लानिंग कर ली थी। अमेरिका के खुफिया केबल्स के आधार पर विकीलीक्स ने खुलासा किया था कि इंटेलिजेंस ब्यूरो ने 2005 में दाऊद इब्राहिम को मारने की योजना बनाई थी। दाऊद की बेटी से जावेद मियांदाद के बेटे की शादी के वक्त डॉन पर हमले का प्लान था। इसे अंजाम पहुंचाना था छोटा राजन के साथी विक्की मल्होत्रा को, आईबी इस मिशन में सीधे तौर पर शामिल नहीं थी बल्कि मिशन की देखरेख का जिम्मा करीब 5 महीने पहले रिटायर हुए अजीत डोभाल के हाथों में था। लेकिन ऐन वक्त पर किसी ने इस सीक्रेट मिशन की जानकारी लीक कर दी।

खबरों के मुताबिक दाऊद को मारने की प्लानिंग के सिलसिले में बात करने के लिए एक दिन जब डोभाल और विक्की मल्होत्रा दिल्ली में साथ थे-तभी मुंबई क्राइम ब्रांच की एक टीम ने हत्या के आरोप में मल्होत्रा को गिरफ्तार कर लिया और दाऊद को मारने की योजना खटाई में पड़ गई।

उस दिन के बाद से आज तक दाऊद के दिल से डोभाल का डर नहीं गया है। वो जानता है कि जब तक डोभाल एनएसए के पद पर हैं उसकी जान हर पल खतरे में है। और शायद अजीत डोभाल को 10 साल पहले अपने फुल प्रूफ प्लान के नाकाम होने की टीस है और वो चाहते हैं कि हर हालत में दाऊद को उसके अंजाम तक पहुंचा सकें। शायद यही वजह है कि अजीत डोभाल जहां भी जाते हैं दाऊद को तबाह करने के मिशन में जुटे रहते हैं।



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