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देश की सबसे बड़ी मुस्लिम शिक्षण संस्थान "अंजुमन-ए-इस्लाम" आईएसआईएस के खिलाफ खुलकर सामने आ गई है। संस्था अपने 1 लाख 10 हज़ार विद्यार्थियों की हर गतिबिधियों पर नजर रख रही है। साथ ही विद्यार्थियों उनके माता-पिता की काउन्सिलिंग की जा रही है।

संस्था को डर है की कहीं उनके विद्यार्थी भी बहक न जाएं और अगर इनका प्रयोग सफल रहा तो संस्था पुरे महाराष्ट्र के मुस्लिम कालेजों में जाकर बच्चों और उनके अभिभावकों को बताएगी कि आईएस जो कर रहा है वो गैर-इस्लामिक और शरीयत के खिलाफ है। यह संस्‍था आतंकवाद और जिहाद पर लगातार सेमिनार आयोजित कर रही है और इसमें बताया जा रहा है की जिहाद का असल मायने क्या है, किसी की जान लेना जिहाद नहीं है। संस्था को ये कदम इसलिए उठाना पड़ा क्योंकि कल्याण से आईएस में जो गए सभी पढ़े-लिखे लड़के थे। पुणे से जो लड़की आईएस में जुड़ने की कोशिश कर रही थी वो भी पढ़ी लिखी है।

इस संस्थान ने निर्णय लिया की वो बच्चों, टीचर्स और अभिभावकों का काउंसिलिंग करेगी और बताएगी की आईएस कुरान की आयतों की गलत परिभाषा बताकर युवाओं को जन्नत में जाने, जन्नत की हूर मिलने और लड़ने पर गाजी और मरने पर शहीद कहलाने के नाम पर बरगलाते हैं। जब की ज़िहाद किसी को मारना नहीं जुल्म के खिलाफ लड़ना है।

इसे और कारगर बनाने के लिए अंजुमन इस्लाम ने सबसे पहले अपने संस्थान के कम्प्यूटर लैब में वो साईट्स ब्लॉक किया जिससे बच्चे बहक सकते हैं। कम्प्यूटर लैब की मदद से उन बच्चों की पहचान करनी शुरू की जो आपत्तिजनक साईट्स पर जाना चाहते हैं। इसके बाद बच्चे की काउंसिलिंग की गयी और माता-पिता को भी बोला गया की घर पर नजर रखें।

इसके पहले मुस्लिम धर्मगुरुओं ने भारतीय युवाओं के आईएस ज्वाइन करने के बाद ही महसूस कर लिया था, तभी तो आईएस के खिलाफ दुनिया का सबसे बड़ा फतवा जारी किया गया ताकि ज़िहाद के नाम पर भारतीय युवाओं को बरगलाया नहीं जा सके।


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