लंदन: ‘गांधी’, ‘शतरंज के खिलाड़ी’, और ‘माय ब्यूटीफुल लांद्रेट’ जैसी फिल्मों के जरिए राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय सिने जगत में सफल करियर बनाने वाले सईद जाफरी का 86 वर्ष की आयु में निधन हो गया है।
उनके इंतकाल की पुष्टि उनकी भतीजी शाहीन अग्रवाल ने फेसबुक पर रविवार को की थी। उन्होंने लिखा कि आज जाफरियों की एक पीढ़ी का अंत हो गया। सईद जाफरी भी अब इस दुनिया को अलविदा कह कर अपने भाईयों और बहन के पास जा चुके हैं और अपने परवरदिगार (खुदा) की गोद में आराम फरमा रहे हैं।
निर्देशक शेखर कपूर ने ट्वीट किया, ‘‘अलविदा प्यारे सईद, अपने करियर की शुरूआत आपके ही साथ ‘मासूम’ से की थी। आपकी सहृदयता और काम के प्रति आपके समर्पण को नहीं भुला सकता।’’ अपने समय के सबसे प्रतिभावान कलाकारों में से एक जाफरी ने अपने करियर की शुरूआत आकाशवाणी से की थी। उसके बाद वह फुलब्राइट स्कॉलर के तौर पर अमेरिका चले गए और वहां उन्होंने द कैथोलिक युनिवर्सिटी ऑफ अमेरिका से ड्रामा की पढ़ाई की। वह पहले भारतीय थे जो शेक्सपियर के नाटकों को लेकर अमेरिका की यात्रा पर गए और इसी दौरान उनकी शादी उनकी पहली पत्नी मधुर जाफरी के साथ हुई।
उन्होंने लगभग 100 हिंदी फिल्मों में काम किया जिसमें सत्यजीत रे की ‘शतरंज के खिलाड़ी’ भी शामिल है।
बॉलीवुड में सईद जाफरी की चुनिंदा फिल्मों में ‘चश्मे बद्दूर’, ‘मासूम’, ‘मंडी’, ‘किसी से ना कहना’, ‘मशाल’, ‘राम तेरी गंगा मैली’, ‘अजूबा’ और ‘हीना’ शामिल हैं। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जाफरी ने सीन कॉनेरी, माइकल कैनी, रोशन सेठ, जेम्स आइवरी, रिचर्ड एटनबरो और डेनियल डे-लुईस के साथ काम किया।
अंतरराष्ट्रीय सिनेमा में उनके अभिनय की ‘द मैन हू वुड भी किंग’, ‘डेथ ऑन द नील’, ‘स्फिनिक्स’, ‘द ज्वैल इन द क्राउन’, ‘द डिसीवर्स’, ‘आफ्टर मिडनाइट’, ‘ऑन विंग्स ऑफ फायर’ और ‘चिकन टिक्का मसाला’ में काफी तारीफ हुई।
वह पहले ऐसे भारतीय थे जिन्हें ऑर्डर ऑफ द ब्रिटिश एंपायर :ओबीई: प्रदान किया गया था। यह सम्मान उन्हें नाट्य जगत में उनके योगदान के लिए दिया गया था।
To get updates of this website please
follow us on Facebook and Twitter with the help of buttons given upper right
side and if you are satisfied by the information then share it with your
friends by clicking the share button.
Thanks!
Winsome World